150KG के बकरे के लिए 3.50 लाख का ऑफर,मालिक ने कहा- बेचूंगा नहीं, कुर्बानी दूंगा; रायपुर में दूसरा बकरा एक लाख में बिका…

रायपुर :

17 जून को बकरीद का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन कुर्बानी के लिए तरह-तरह के बकरों की डिमांड होती है जिनकी कीमत लाखों रुपए तक जाती है। रायपुर में भी सोजत नस्ल का एक बकरा 1 लाख रुपए में बिका है। इसे धमतरी के राइस मिलर जलील अहमद ने खरीदा है। वहीं दूसरा बकरा इमरान 150 किलो का है, जो घी के साथ डेढ़ किलो दूध भी पीता है। हालांकि इसे बेचने से मालिक ने इनकार कर दिया।

दरअसल, रायपुर के सीरत मैदान में बकरा मंडी लगी। जहां लोग बकरीद के लिए बकरा खरीदने पहुंचे। यहां कई नस्ल के बकरे राजस्थान, पंजाब, एमपी और महाराष्ट्र मंडी से आ रहे हैं। मंडी में बरबरी, अजमेरी नस्ल, जमना पारी, पंजाबी नस्ल के बकरे की डिमांड है। यहां 10 हजार से लेकर 1 लाख कीमत तक के बकरे हैं।

राजस्थान सोजत नस्ल का है बकरा

बकरा मालिक जिया कुरैशी ने बताया कि, उन्होंने राजस्थान सोजत नस्ल का बकरा बेचा है। इस नस्ल की ख़ासियत है कि यह सफेद रंग का होता है। उसकी चमड़ी पिंक कलर की होती है। डेढ़ साल पहले इसे राजस्थान से लेकर आए थे। उसके लिए खास राजस्थान से लूम की पत्ती मंगाई जाती थी।

150 किलो के इमरान की कल होगी कुर्बानी

वहीं, शहर के एमजी रोड निवासी मोहम्मद आबिद के कल 150 किलो से अधिक वजन के बकरे की कुर्बानी देंगे। मोहम्मद आबिद ने बताया कि मालवा नस्ल के बकरे को वो 2 साल पहले देवास से लेकर आए थे। जब यह छोटा था, तब उसका नाम हमने इमरान रखा था।

इमरान को रोजाना डेढ़ लीटर दूध दिया जाता है। दूध के साथ 50 ग्राम देसी घी देते हैं। इसके अलावा उसे देसी चना, गेहूं और चना दाल खिलाते हैं। दिल्ली से इमरान को खरीदने के लिए 3.50 लाख रुपए का ऑफर आया था। लेकिन मेरी नीयत कुर्बानी की है। इसलिए मैं उसे नहीं बेचा।

इस बार अच्छा व्यापार

इस बार सीरत मैदान बकरा मंडी में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब और महाराष्ट्र से अच्छा बकरा आया है। रायपुर में बकरों की कीमत अच्छी दी जाती है। जिस कारण छत्तीसगढ़ के हर कोने से देर रात तक लोग बकरा खरीदने के लिए मंडी पहुंच रहे हैं। इस बार काफी अच्छा व्यापार रहा।

करोड़ों का होता है कारोबार

हर साल रायपुर के सीरत मैदान में मंडी लगती है। जहां करोड़ों का कारोबार होता है। इस बार भाव तेज होने से व्यापारियों के चेहरे खिले नजर आ रहे हैं। वहीं, खरीददार भी बकरा लेने के समय इस बात का ख्याल रख रहे हैं कि बकरा देखने में खूबसूरत और हेल्दी हो। उसे किसी प्रकार की कोई बिमारी ना हो।

ईद-उल-जुहा से जुड़ी बातें, क्यों और कैसे मनाया जाता है ये त्योहार

  • मान्यता है कि बकरीद का त्योहार पैगंबर हजरत इब्राहिम ने शुरू किया था। इन्हें अल्लाह का पैगंबर माना जाता है।
  • इब्राहिम दुनिया की भलाई के कार्यों में लगे रहे। उन्होंने लोगों की सेवा की, लेकिन करीब 90 साल की उम्र तक उन्हें कोई संतान नहीं हुई थी।
  • फिर उन्होंने खुदा की इबादत की जिससे उन्हें चांद-सा बेटा इस्माइल मिला, लेकिन सपने में दिखे खुदा ने उन्हें आदेश दिया कि उन्हें अपनी प्रिय चीज की कुर्बानी देनी होगी।
  • अल्लाह के आदेश को मानते हुए उन्होंने अपने सभी प्रिय जानवर कुर्बान कर दिया। एक दिन हजरत इब्राहिम को फिर से यह सपना आया तब उन्होंने अपने बेटे को कुर्बान करने का प्रण ले लिया।
  • अपने प्रिय बेटे की कुर्बानी उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर दे दी और जब उनकी आखें खुली तो उन्होंने पाया कि उनका बेटा तो जीवित है और खेल रहा है। बल्कि उसकी जगह वहां एक दुम्बे की कुर्बानी खुद ही हो गई थी।
  • दुम्बा बकरे की प्रजाति का बकरे जैसा ही जानवर होता है जिसकी दुम गोल होती है।
  • कहा जाता है कि बस तभी से दुम्बे या भेड़-बकरे की कुर्बानी की प्रथा चली आ रही है।
  • बकरीद पर अपने प्रिय बकरे की कुर्बानी दी जाती है। बकरीद से कुछ दिन पहले बकरा खरीदकर लाना होता है ताकि उस बकरे से लगाव हो जाए।
  • जिन लोगों ने अपने घरों में बकरा पाल रखा होता है वह उस बकरे की कुर्बानी देते हैं।
  • बकरीद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग अल सुबह की नमाज अदा करते हैं। इसके बाद बकरे की कुर्बानी देने का कार्य शुरु किया जाता है।
  • कुर्बानी के बाद बकरे का मीट तीन हिस्सों में बांटा जाता है। गोश्त के इन तीन भागों में एक भाग गरीबों के लिए, दूसरा भाग रिश्तेदारों में बांटने के लिए और तीसरा भाग अपने लिए रखा जाता है।

ख़बरें और भी …हमसे जुड़ने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक |

https://whatsapp.com/channel/0029VaSGTZ1Lo4hYCjY45G2q