बिलासपुर: 20 अप्रैल 2025
छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता पंडित राजेंद्र शुक्ल की मृत्यु को लेकर 18 साल बाद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। वर्ष 2006 में बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में इलाज के दौरान हुई उनकी मौत के मामले में अब एक फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट के खिलाफ गंभीर धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई है।
सरकंडा थाना पुलिस ने आरोपी नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 465, 466, 468, 471 (जालसाजी), 304 (गैर इरादतन हत्या) और 34 के तहत केस दर्ज किया है। बताया जा रहा है कि नरेंद्र बिना किसी विशेषज्ञ डिग्री के खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर मरीजों का इलाज कर रहा था।

यह मामला तब फिर सुर्खियों में आया जब दमोह के मिशन अस्पताल में नरेंद्र यादव के इलाज के दौरान 7 मरीजों की मौत हो गई। इसके बाद पंडित राजेंद्र शुक्ल के परिजनों ने उनकी मौत की दोबारा जांच की मांग की। चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि शुक्ल का ऑपरेशन भी इसी फर्जी डॉक्टर द्वारा किया गया था।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के तत्कालीन अध्यक्ष और वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. वायएस दुबे की जांच में पता चला कि नरेंद्र के पास केवल MBBS की डिग्री है और वह कार्डियोलॉजी का विशेषज्ञ नहीं था। अपोलो अस्पताल द्वारा की गई जांच में आरोपी के दस्तावेजों में भी गड़बड़ियां पाई गईं—नाम, जन्मतिथि और पिता का नाम अलग-अलग रिकॉर्ड में दर्ज थे, जिससे उसकी पहचान संदिग्ध पाई गई।
करीब 32 वर्षों तक विधायक और छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष रह चुके पंडित राजेंद्र शुक्ल की मौत से जुड़ा यह मामला न सिर्फ चिकित्सा व्यवस्था की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि आखिर एक फर्जी डॉक्टर इतने वर्षों तक कैसे बेरोकटोक सक्रिय रहा?
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