कला और सरोकार ,दोनों के लिए अजय मंडावी को पद्मश्री पुरस्कार मिला

रायपुर : 13 अप्रैल 2023

छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाके के पद्मश्री से सम्मानित अजय मंडावी छत्तीसगढ़ के पहले ऐसे व्यक्ति हैं ,पहले ऐसे आदिवासी कलाकार हैं जिनको सम्मान उन्हें उनकी कला के साथ साथ उनके सामजिक सरोकार के लिए भी मिला है | उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि मुझे बहुत अच्छा है क्योकि मैं छत्तीसगढ़ का पहला आदिवासी हूँ जिसे ये सम्मान मिला हैं | और पहली बार ही इस सम्मान के लिए उन्होंने आवेदन भेजा था | और पुरस्कार के लिए चुने गये | इनको पूर्व में सन 2006 में राज्य से भी पुरस्कार मिल चूका है |

आपको बता दें बचपन कांकेर में बीता | कांकेर में कक्षा तीसरी तक पढ़े हैं | कक्षा तीसरी से आगे की पढाई पास के ही एक गाँव महानदी के किनारे भैसा कट्टा में किया | यहाँ इनके पिता मास्टर रहें हैं | इन्होने अपनी कला की शुरुवात भी वही से किया | इन्होने काष्ठ कला कालेज की शिक्षा पूरी करने के बाद शुरू किया | बहुत समय अजय मंडावी ने पहचाना ही नहीं था कि ये खुद सोचते थे कि ये किस सेक्टर के आर्टिस्ट हैं |

अजय मंडावी ने पूरी बायबिल की भी नक्काशी 384 पेज की सागौन की लकड़ी में ढाई वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद पूरी की गयी | बचपन में जब इन्होने टायपिंग एक क्रिस्टियन से सीखे थे | तब से इनको बायबिल की नक्काशी से प्रेरित हुवे | इन्होने यह भी बताया कि पूरे 384 पेज के सेट अब एक साथ नहीं हैं ,इनमे से कुछ कुछ पेज अलग अलग चर्चों में दे चुकें हैं | इन्होने कुछ समय जेल में बंद आदिवासी बंदियों को भी ट्रेनिंग दिये हैं |