छत्तीसगढ़ में विलुप्त हुई भूपेश बघेल की राजनीति , भाजपा ने अपने दांव से कांग्रेस को किया धराशायी …

सम्पादक,

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में चौंकाने वाले नतीजे आए हैं। विधानसभा चुनाव में 75 सीटों की जीत का लक्ष्य लेकर चलने वाली कांग्रेस केवल 35 सीटों पर ही बढ़त बना पाई। बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है। रिजल्ट से पहले कांग्रेस ने दावा किया था हम पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएंगे। कांग्रेस के कई सीनियर नेता विधानसभा चुनाव में हार गए हैं। आइए जानते हैं कौन से वो पांच दांव है जिसके कारण राज्य में बीजेपी की जीत हुई है।

छत्तीसगढ़ में बीजेपी की जीत का सबसे बड़ा श्रेय बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, अमित शाह और ओम माथुर की रणनीति है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद बीजेपी का संगठन एक्टिव हो गया था। अमित शाह लगातार दौर कर बैठक और मीटिंग कर रहे थे। अमित शाह हर विधानसभा सीट की व्यक्तिगत रिपोर्ट ले रहे थे।

छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने किसी भी नेता का चेहरा घोषित नहीं किया था। पार्टी कार्यकर्ताओं को केन्द्र सरकार की योजनाओं को घर-घर तक पहुंचाने की बात कही गई थी। इसका फीडबैक भी लिया जा रहा था। पार्टी ने नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा था। पार्टी ने कई सीनियर नेताओं को टिकट देकर इस बात का संशय और बढ़ा दिया की सीएम कौन होगा।

महतारी वंदन योजना

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में महिला वोटर्स को साधन के लिए बीजेपी ने महतारी वंदन योजना की घोषणा की। महतारी वंदन योजना के तहत प्रदेश की सभी विवाहित महिलाओं को एक हजार रुपए हर महीने देने का वादा किया। कांग्रेस ने भी इस योजना की काट निकालने के लिए 15 हजार रुपए सलाना देने की घोषणा की, लेकिन बीजेपी की तरह कांग्रेस इस योजना को प्रसारित नहीं कर पाई।

 धान किसानों को बोनस

छत्तीसगढ़ में चुनाव का सबसे बड़ा फैक्टर होता है धान किसान। धान किसान को साधने के लिए बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा कि राज्य में धान का समर्थन मूल्य 3100 रुपए एक मुश्त दिया जाएगा। इसके साथ ही धान किसान को बड़ी राहत देते हुए किसानों को दो साल का बोनस देने की घोषणा की। जिसके बाद कांग्रेस ने कर्जमाफी और 3200 रुपए में धान खरीदने का वादा किया लेकिन किसानों ने बीजेपी की बातों पर भरोसा किया।

गुटबाजी को वक्त पर खत्म किया

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी में गुटबाजी सामने आई लेकिन बीजेपी ने समय के साथ इस गुटबाजी को खत्म कर लिया। पार्टी ने अपने नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया। राज्य संगठन को काम के लिए फ्री हैंड दिया और समय-समय पर उसकी मॉनिटरिंग करते रहे।

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