आज से शारदीय नवरात्र प्रारंभ :छत्तीसगढ़ के मंदिरों में पहले दिन मां शैलपुत्री की विशेष पूजा, शुभ मुहूर्त पर करें कलश स्थापना…

स्वतंत्र छत्तीसगढ़ :

रायपुर :

शारदीय नवरात्र आज रविवार से शुरू हो गए हैं। छत्तीसगढ़ के साथ ही पूरे देश में आज नवरात्र के पहले दिन मंदिरों में भक्त पहुंच रहे हैं। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस बार नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू होकर 23 अक्टूबर तक रहेगी। 24 अक्टूबर को विजयदशमी होगा। इस बार घट स्थापना के लिए दिनभर में एक ही शुभ मुहूर्त है, जो सुबह 9.27 बजे से शुरू होगा। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।

रायपुर के महामाया मंदिर में हजारों की संख्या में जलेंगे ज्योत :

रायपुर के प्रसिद्ध मां महामाया मंदिर में हजारों की संख्या में ज्योत प्रज्ज्वलित की जाएगी। हर साल बड़ी संख्या में भक्त इस मंदिर में पहुंचते हैं। कतार से लोग मंदिर के अंदर पहुंचकर मां महामाया के दर्शन कर पाएं, इसके लिए इंतजाम किए गए हैं। मंदिर में भजन संध्या का भी आयोजन किया जाएगा, जिसमें स्थानीय कलाकार जस गीत की प्रस्तुति देंगे।

रायपुर के पुरानी बस्ती में स्थित है मां महामाया देवी का मंदिर।

रायपुर के पुरानी बस्ती में स्थित है मां महामाया देवी का मंदिर।

बिलासपुर के महामाया मंदिर में 31 हजार ज्योति कलश होंगे प्रज्ज्वलित :

बिलासपुर जिले के रतनपुर स्थित मां महामाया देवी की पूजा शक्ति पीठ के रूप में होती है। यहां पूरे 9 दिनों तक नवरात्र पर्व की रौनक रहेगी। इस बार देवी मंदिर में 31 हजार ज्योति कलश प्रज्ज्वलित करने की तैयारी है। मंदिर में पूरे 9 दिनों तक यहां शतचंडी यज्ञ के साथ ही जसगीत का आयोजन भी होगा।

बिलासपुर जिले के रतनपुर स्थित मां महामाया देवी की पूजा शक्ति पीठ के रूप में होती है।

बिलासपुर जिले के रतनपुर स्थित मां महामाया देवी की पूजा शक्ति पीठ के रूप में होती है।

डोंगरगढ़ में भी सजा मां बम्लेश्वरी का दरबार :

प्रदेश के सबसे बड़े देवी मंदिर राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ में भी मां बम्लेश्वरी का दरबार सज गया है। यहां पहाड़ पर और नीचे स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर में 10 हजार से अधिक ज्योत जलेंगे। नवरात्र पर्व के दौरान नगर पालिका द्वारा मेला ग्राउंड में मीना बाजार भी आज से आयोजित किया जाएगा। नवरात्र में करीब 17-18 लाख दर्शनार्थी देवी दर्शन के लिए डोंगरगढ़ आते हैं। इनमें से करीब 10 लाख पदयात्री होते हैं।

राजनांदगांव के डोंगरगढ़ में स्थित मां बम्लेश्वरी देवी का मंदिर, जहां बगलामुखी विराजमान हैं।

राजनांदगांव के डोंगरगढ़ में स्थित मां बम्लेश्वरी देवी का मंदिर, जहां बगलामुखी विराजमान हैं।

दुल्हन की तरह सजाया गया मां दंतेश्वरी मंदिर :

दंतेवाड़ा में स्थित बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी की पहले दिन विशेष पूजा अर्चना की गई। सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। अनुमान है कि इस साल लाखों की संख्या में भक्त देवी के दरबार पहुंचेंगे। इस साल करीब 10 हजार मनोकामना ज्योत भी जलाए गए हैं। मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है।

झालरों की रोशन से रोशन दंतेवाड़ा स्थित दंतेश्वरी मंदिर।

झालरों की रोशन से रोशन दंतेवाड़ा स्थित दंतेश्वरी मंदिर।

जांजगीर में स्वर्ण सिंहासन पर विराजेंगी मां दुर्गा :

वहीं जांजगीर-चांपा जिले में भव्य रूप से दुर्गा पूजा मनाने की तैयारी चल रही है। नैला में बनने वाली मां दुर्गा की प्रतिमा देशभर में मशहूर है। इस साल अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की तर्ज पर 135 फीट भव्य प्रवेश द्वार बनाया जा रहा है, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहेगा। हीरे, मोती और सोने के जेवरात से जड़ित स्वर्ण सिंहासन पर 35 फीट ऊंची मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

हीरे, मोती और सोने के जेवरात से जड़ित स्वर्ण सिंहासन पर 35 फीट ऊंची मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

हीरे, मोती और सोने के जेवरात से जड़ित स्वर्ण सिंहासन पर 35 फीट ऊंची मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाएगी।

मां शैलपुत्री की पूजा का दिन :

नवरात्रि में पहले दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है। पर्वतराज हिमालय की बेटी मां शैलपुत्री ने शिव को बहुत कठिन तप के बाद पति के रूप में पाया था। इन्हें करुणा, धैर्य और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। मां शैलुपत्री की पूजा से जीवन में चल रही उथल-पुथल शांत होती है, सुयोग्य वर मिलता है और जो लोग शादीशुदा हैं, उनके वैवाहिक जीवन में सुख आता है।

मान्यता है कि मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

कलश स्थापना में इन चीजों का करें इस्तेमाल।

मां के शैलपुत्री रूप की पूजा विधि और मंत्र :

नवरात्रि के पहले दिन देवी दुर्गा के माता शैलपुत्री रूप की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें। पूजा के पहले अखंड ज्योति प्रज्वलित कर लें और शुभ मुहूर्त में घट स्थापना करें। अब पूर्व की ओर मुख कर चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और माता का चित्र स्थापित करें। सबसे पहले गणपति का आह्वान करें और इसके बाद हाथों में लाल रंग का पुष्प लेकर मां शैलपुत्री का आह्वान करें।

मां की पूजा के लिए लाल रंग के फूलों का उपयोग करना चाहिए। मां को अक्षत, सिंदूर, धूप, गंध, पुष्प चढ़ाएं। माता के मंत्रों का जाप करें। घी से दीपक जलाएं। मां की आरती करें। मां को प्रसाद अर्पित करें।

मां शैलपुत्री के मंत्र :

  1. ओम देवी शैलपुत्र्यै नमः
  2. ह्रीं शिवायै नम:
  3. वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥

शारदीय नवरात्र में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। घटस्थापना के वक्त जौ बोने के लिए चौड़े मुंह वाला मिट्टी का बर्तन, स्वच्छ मिट्‌टी, मिट्‌टी या तांबे का कलश साथ में ढक्कन, कलावा, लाल कपड़ा, नारियल, सुपारी, गंगाजल, दूर्वा, आम या अशोक के पत्ते, 7 तरह के अनाज, अक्षत, लाल फूल, सिंदूर, लौंग, इलायची, पान, मिठाई, इत्र, सिक्का होना चाहिए।

कलश स्थापना का महत्व :

  1. नवरात्रि में स्थापित कलश नकारात्मक ऊर्जा खत्म कर देता है। इससे घर में शांति रहती है।
  2. कलश को सुख और समृद्धि देने वाला माना गया है।
  3. घर में रखा कलश माहौल भक्तिमय बनाता है। इससे पूजा में एकाग्रता बढ़ती है।
  4. घर में बीमारियां हों तो नारियल का कलश उसको दूर करने में मदद करता है।
  5. कलश को भगवान गणेश का रूप भी माना जाता है, इससे कामकाज में आ रही रुकावटें भी दूर होती हैं।