शहर के सड़कों पर DJ का कानफोडू शोर , फिर भी कड़ाई नहीं, प्रतिबन्ध बेअसर , रात 10 के बाद रोक लगाने हाई कोर्ट का स्पष्ट आदेश ,फिर भी बेअसर …

स्वतंत्र छत्तीसगढ़ : बिलासपुर

किसी भी अवसर पर डीजे की आवाज में थिरकने वाले चंद लोगों की मौज-मस्ती के कारण शहर के हजारों लोग परेशान हो रहे हैं। हालात ऐसे है कि शहर में विसर्जन के दौरान झांकियों और जुलूस में निर्धारित सीमा से दोगुने आवाज में डी जे बज रहे हैं। रिहायशी इलाके से लेकर स्कूल, अस्पताल के पास और रात में भी आवाज की लिमिट इतनी ज्यादा है कि मकान के खिड़कियों के शीशे, बर्तन तक हिल रहे हैं।

चारपहिया के पुर्जों से आवाज आने लगती है। डीजे के पास से गुजरने वाले लोगों के दिल की धड़कन तेज हो जाती है। कई बार तो बेस इतना ज्यादा होता है कि अच्छे खासे स्वस्थ व्यक्ति को भी हार्ट अटैक सा लगने लगता है। यह सब हाई कोर्ट से महज आठ किलोमीटर दूर शहर के भीतर हो रहा है, जहां कुछ किलोमीटर पर कलेक्टर-एसपी के दफ्तर और निवास दोनों हैं।

बता दें कि हाई कोर्ट ने निर्धारित आवाज से ज्यादा में डीजे बजाने पर कलेक्टर और एसपी को ही जिम्मेदार ठहराया ​था। भास्कर ने बुधवार को सुबह और रात में जब कुछ विसर्जन झांकियों के पास जाकर ऑनलाइन एप्लीकेशन से डीजे की आवाज मापी को 80 से 100 डेसीबल तक आवाज निकली। जब झांकी निकली तो ट्रैफिक और सुरक्षा व्यवस्था के लिए चौराहों पर पुलिस तैनात थी, लेकिन किसी ने रोका-टोका नहीं। ऐसी एक-दो नहीं, बल्कि दिन में डीजे के साथ डेढ़-दो दर्जन जुलूस निकल रहे हैं।

60 डेसीबल से अधिक आवाज पर कार्रवाई :

हाल ही में पुलिस ने गणेशोत्सव समिति के पदाधिकारियों की बैठक लेकर निर्देश दिया था कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक डीजे बजाने पर पाबंदी रहेगी। इसी तरह सार्वजनिक स्थान या निजी स्थान पर 60 डेसीबल से अधिक आवाज नहीं होगी।

इसके लिए प्रभारी अधिकारी से अनुमति लेनी होगी। मालवाहक वाहनों में डीजे को वाहन की बॉडी से बाहर नहीं निकालने के निर्देश हैं, जबकि डीजे में लगे वाहनों में चमकीली लाइटें जिससे आंखें पर प्रभाव पड़े, ऐसा नहीं लगाना है। नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माने का प्रावधान है। इसी तरह साइलेंट जोन जैसे स्कूल, अस्पताल, कोर्ट परिसर, वृद्ध आश्रम, वाले हिस्सों में डीजे बजाने पर पूरी तरह प्रतिबंध है।