वीरांगना रमोतिन माड़िया के प्रतिमा का लोकार्पण…

स्वतंत्र छत्तीसगढ़ :

सुनील सिंह राठौर : नारायणपुर

नारायणपुर, 11सितंबर 2023. छत्तीसगढ़ शासन के उद्योग मंत्री कवासी लखमा एवं अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग मंत्री मोहन मरकाम के द्वारा वीरांगना रमोतिन कोर्राम माड़िया कन्या महाविद्यालय में प्रतिमा का लोकार्पण किया गया। राज्य के जिला नारायणपुर तहसील छोटेडोंगर के एक छोटे से गांव धुरबेड़ा में एक कोर्राम परिवार में पली-बढ़ी वीरांगना रमोतिन कोर्राम माड़िया का जन्म लगभग 1887 में हुआ था। इनके पिता का नाम डोंगा कोर्राम एवं माता का नाम श्रीमती वागली बाई थी। वीरांगना रमोतिन कोर्राम माड़िया के दो भाई थे, उनका नाम कोसा कोर्राम और मासा कोर्राम था। वीरांगना रमोतिन कोर्राम माड़िया की एक छोटी बहन का नाम सनोतिन कोर्राम था। वीरांगना रमोतिन कोर्राम माड़िया बचपन से ही होनहार वीरवान और बहादुर थी, सन् 1887 में ग्राम धुरबेड़ा में बांस एवं घांस फूस की झोपड़ियां हुआ करती थी। बगल में पशु-पक्षी, गाय-बैल, बकरियां-मुर्गियां रखी जाती थीं। उस समय ग्राम धुरबेड़ा में बीहड़ जंगल था, उन जंगलों में शेर, बाघ, भालू रहा करते थे। झोपड़ी में रखे गाय-बैल, बकरियों को शेर-बाघ दिन में भी और प्रतिदिन रातभर दहाड़ किया करते थे, और झोपड़ियों में रखे गाय-बैल, बकरियों को शिकार कर खा जाया करते थे। वीरांगना रमोतिन कोर्राम माड़िया ने गांव वालों को संगठित कर अंग्रेजों के विरूद्ध लड़ाई करने के लिए भुमकाल लड़ाई का गठन किया। सन् 1910 में वीरांगना रमोतिन कोर्राम माड़िया एवं कोसा कोर्राम, मासा कोर्राम ने एवं गांववालों के पास केवल धनुष-बांण था उनके पास उस समय बन्दूक नहीं था, फिर भी अंग्रेजों के अत्याचार को सहन नहीं करते हुए 1910 से 1911 में अंग्रजो के अत्याचार के विरूद्ध भुमकाल लड़ाई प्रारंभ कर दिए, इसी लड़ाई का नेतृत्व करते हुए 17 मई 1911 में भुमकाल लड़ाई के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गई।