HNLU रायपुर में “संगीत और आईपी” विषय पर वर्चुअल अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन…

रायपुर : 28 अप्रैल 2025 (भूषण )

हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचएनएलयू) रायपुर ने डीपीआईआईटी-आईपीआर चेयर और एचएनएलयू के सेंटर फॉर इनोवेशन एंड आईपी लॉज़ के सहयोग से विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के अवसर पर एक वर्चुअल अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस वर्ष सम्मेलन का विषय था – “म्यूज़िक एंड आईपी: आर्ट, इनोवेशन एंड बिज़नेस”, जिसमें संगीत, नवाचार और व्यवसाय की दुनिया में बौद्धिक संपदा के महत्व पर विमर्श हुआ।

सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर ऑफ लॉ, प्रो. सुनेन्दा भारती मुख्य अतिथि रहीं, जबकि आर्मेनिया की आईपी एंड बिजनेस अटॉर्नी, सुश्री एनी डाव्टियन ने गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में भाग लिया। समापन समारोह में प्रतिष्ठित आईपी फर्म आनंद एंड आनंद के मैनेजिंग पार्टनर श्री प्रवीन आनंद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इसी समारोह में प्रो. एनरिको बोनाडियो (सिटी सेंट जॉर्ज़ यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन) ने कीनोट स्पीकर के रूप में तथा अधिवक्ता हीना बैग (लीगल ऑपरेशन्स लीड, सम्साराह इंस्टाटेक) ने गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

एचएनएलयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) वी.सी. विवेकानंदन ने उद्घाटन और समापन समारोहों में डिजिटल माध्यम से अपने विचार व्यक्त किए। उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव ने स्वागत उद्बोधन दिया, जबकि समापन सत्र का स्वागत भाषण प्रो. योगेंद्र श्रीवास्तव, डीन, पीजी स्टडीज ने प्रस्तुत किया। सम्मेलन के संयोजक एवं डीपीआईआईटी-आईपीआर चेयर प्रो. (डॉ.) अंकित सिंह ने उद्घाटन सत्र में सम्मेलन रिपोर्ट प्रस्तुत कर धन्यवाद ज्ञापन दिया। समापन सत्र में धन्यवाद ज्ञापन सुश्री गरिमा पंवार, सहायक प्राध्यापक ने प्रस्तुत किया।

भारत और विदेशों से अनेक प्रतिभागियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया। विभिन्न शोध पत्र सत्रों में कुल 28 उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। इन शोध पत्रों में संगीत स्ट्रीमिंग युग में कॉपीराइट लाइसेंसिंग, एआई द्वारा निर्मित संगीत और लेखन अधिकारों की चुनौतियाँ, संगीत कृतियों का समांतर आयात, रॉयल्टी मॉडल की अर्थव्यवस्था तथा ब्लॉकचेन का संगीत उद्योग पर प्रभाव जैसे समसामयिक विषयों पर चर्चा हुई। सत्रों की अध्यक्षता बौद्धिक संपदा कानून के प्रतिष्ठित विद्वानों और उद्योग विशेषज्ञों ने की, जिन्होंने अपने महत्वपूर्ण सुझावों से शैक्षणिक विमर्श को समृद्ध किया और प्रस्तुतकर्ताओं एवं प्रतिभागियों के बीच रचनात्मक संवाद को बढ़ावा दिया।

यह सम्मेलन न केवल एक शैक्षणिक आयोजन था, बल्कि यह संगीत की आत्मा, मानव अभिव्यक्ति की रचनात्मकता और उसे संरक्षित करने व प्रोत्साहित करने वाली बौद्धिक संपदा की अदृश्य किंतु शक्तिशाली संरचना का उत्सव भी था।

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