रायपुर, 19 अप्रैल 2025
छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले की जांच ने एक बार फिर तेजी पकड़ ली है। 20 साल पुराने इस घोटाले में सीबीआई ने शुक्रवार को जेल में बंद सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा के रायपुर स्थित घर पर छापेमारी की। यह कार्रवाई 16 अप्रैल को टुटेजा, डॉ. आलोक शुक्ला और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा समेत अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर के बाद की गई।
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई की टीम टुटेजा की गैरमौजूदगी में सुबह उनके घर पहुंची और करीब पांच घंटे तक तलाशी ली। छापेमारी के दौरान अधिकारियों को कुछ संदिग्ध मोबाइल चैट मिले हैं, जो घोटाले में साजिश की ओर इशारा करते हैं। वहीं, आरोपियों में शामिल डॉ. आलोक शुक्ला और वर्मा के ठिकानों पर छापे की पुष्टि नहीं हुई है। सीबीआई ने आईपीसी की धाराओं 182, 211, 193, 195ए, 166ए और 120 बी के अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं 7, 7ए, 8 और 13(2) के तहत मामला दर्ज किया है। जांच का नेतृत्व सीबीआई के एसपी सुमन कुमार की टीम कर रही है।

यह घोटाला सिर्फ वित्तीय अनियमितता तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सरकारी पदों का दुरुपयोग, गवाहों को प्रभावित करने और न्यायिक प्रक्रिया को मोड़ने के गंभीर आरोप हैं। आयकर विभाग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा से असम्यक लाभ लिया। उनका उद्देश्य था कि वर्मा अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर सरकारी कार्यों में गड़बड़ी करें और घोटाले से जुड़े दस्तावेजों में मनमर्जी से बदलाव कराएं।
गौरतलब है कि 2015 में नान घोटाले से जुड़ा एक मामला आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) में दर्ज किया गया था। इसके बाद नवंबर 2024 में गवाहों को प्रभावित करने का नया मामला सामने आया, जिसकी जांच के लिए राज्य सरकार ने सीबीआई को सिफारिश भेजी थी।
अनिल टुटेजा के खिलाफ यह चौथा बड़ा मामला है। पहले आयकर विभाग की कार्रवाई, फिर ईडी द्वारा केस दर्ज, इसके बाद शराब घोटाले में नाम आने के साथ ही अब सीबीआई की एफआईआर ने उनके खिलाफ कानूनी शिकंजा और कस दिया है। हालांकि, हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें शराब घोटाले से जुड़े हवाला मामले में जमानत दी थी।
उधर, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की परीक्षा घोटाले की जांच भी तेजी से चल रही है। सीबीआई ने 2020 से 2022 के बीच हुई परीक्षाओं में पेपर लीक के मामले में छह लोगों को समन भेजा है। दावा किया गया है कि कुछ अभ्यर्थियों को परीक्षा से पहले ही पर्चा उपलब्ध कराया गया और उन्हें विशेष स्थानों पर ले जाकर तैयारी कराई गई। इस घोटाले ने एक बार फिर प्रशासनिक और राजनीतिक व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि सीबीआई की आगे की जांच किन और परतों को उजागर करती है।
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