छत्तीसगढ़ में करोड़ों के शराब घोटाले का पर्दाफाश, सीबीआई जांच की मांग से शासन-प्रशासन में हड़कंप…

रायपुर, 18 अप्रैल 2025 (भूषण)

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। दैनिक हितवाद के सिटी लाइन में छपे अनुसार राज्य के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों को भेजे गए एक गोपनीय पत्र ने करोड़ों रुपये के शराब घोटाले को उजागर किया है, जिसकी स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को मामला सौंपे जाने की मांग की गई है। इस पत्र को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय गृह मंत्री को भी चिह्नित किया गया है, जिससे इसकी गंभीरता और बढ़ जाती है।

इस पत्र को पेशे से वकील और भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेश चंद्र गुप्ता ने 10 अप्रैल को भेजा था। इसमें 2019 से 2023 के बीच राज्य में शराब कारोबार से जुड़ी अनियमितताओं, प्रशासनिक चूक और संस्थागत भ्रष्टाचार के विस्तृत आरोप लगाए गए हैं। पत्र के साथ 200 से अधिक पृष्ठों के दस्तावेज और प्रमाण संलग्न किए गए हैं, जो ऑडिट रिपोर्ट, आरटीआई प्रतिक्रियाएं, और आंतरिक सरकारी रिकॉर्ड पर आधारित हैं।

गुप्ता ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CSMCL), आबकारी विभाग और स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने एक सुनियोजित तंत्र के अंतर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण में अवैध शराब कारोबार को बढ़ावा दिया। उन्होंने दावा किया कि बारकोड अनुबंधों को बार-बार एक ही विक्रेता को बिना टेंडर प्रक्रिया के सौंपा गया, जिससे पारदर्शिता खत्म हो गई। साथ ही, वेयरहाउस से बिना निरीक्षण के रात में शराब की आपूर्ति नियमों का उल्लंघन करते हुए की गई।

सबसे गंभीर आरोपों में अवैध नकदी लेनदेन और मनी लॉन्ड्रिंग शामिल है। पत्र में यह दावा किया गया है कि शराब बिक्री से उत्पन्न नकद राशि पुलिस स्टेशनों के माध्यम से एक ‘सुरक्षित घर’ तक पहुंचाई जाती थी, जिसका संबंध रायपुर के पूर्व महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर से जोड़ा गया है। इस प्रक्रिया में खुफिया शाखा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक माहेश्वरी की भूमिका को भी संदिग्ध बताया गया है।

पत्र में कई वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं के नाम सामने आए हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा, पूर्व एमडी अरुणपति त्रिपाठी, निलंबित उप सचिव सौम्या चौरसिया, व डिस्टिलरी संचालक नवीन केडिया सहित कई अन्य व्यवसायिक और राजनीतिक चेहरे शामिल हैं। आरोपों में यह भी कहा गया है कि आबकारी सॉफ्टवेयर में जानबूझकर हेरफेर की गई, जिससे रिकॉर्ड दबाए जा सकें।

राज्य सरकार की जांच एजेंसियों – विशेष रूप से आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा – की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए गए हैं। पत्र में कहा गया है कि मौजूदा जांच सीमित और पूर्व-निर्धारित है, जो केवल कुछ छोटे स्तर के लोगों पर केंद्रित है जबकि असली सरगनाओं को बचाया जा रहा है।

गुप्ता ने IPC की धारा 409, 420, 467, 120B और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(D) और 17 के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए निष्कर्ष में लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात कही है। जनता का विश्वास बहाल करने के लिए इस घोटाले की जांच CBI को सौंपना जरूरी है।”

फिलहाल राज्य सरकार की ओर से इस पत्र पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन प्रशासनिक हलकों में बेचैनी साफ महसूस की जा रही है।

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