रायपुर : 13 मार्च 2025 (भूषण )
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर इंद्रावती नदी में जल प्रवाह को संतुलित करने के लिए जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर में आवश्यक सुधार किए गए हैं। ओडिशा सरकार की सहमति के बाद स्ट्रक्चर में रेत की बोरियां डालकर पानी का प्रवाह सुनिश्चित किया गया, जिससे इंद्रावती नदी के जल स्तर में वृद्धि हुई है।
ओडिशा सरकार से समन्वय के बाद समाधान
मुख्यमंत्री साय के निर्देश पर जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल से चर्चा कर इंद्रावती नदी के जल संकट के समाधान हेतु सहयोग मांगा। इसके बाद केंद्रीय मंत्री ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों को समस्या के निराकरण हेतु आवश्यक निर्देश दिए। इस पहल के तहत ओडिशा सरकार की सहमति से जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर को अस्थायी रूप से एक फीट ऊंचा किया गया, जिससे इंद्रावती नदी के जल प्रवाह में सुधार हुआ।
रेत निष्कासन कार्य जारी
इंद्रावती नदी के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में जमा रेत को हटाने का कार्य भी तेजी से जारी है। प्रशासन ने इसे अप्रैल के पहले सप्ताह तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस संबंध में कलेक्टर हरिस एस के मार्गदर्शन में अपर कलेक्टर सी.पी. बघेल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग और जल संसाधन विभाग के ईई वेद पांडेय ने स्थानीय किसानों को जिला कार्यालय के प्रेरणा सभा कक्ष में पूरी जानकारी दी।
समस्या की पृष्ठभूमि
इंद्रावती नदी ओडिशा के कालाहांडी जिले से निकलकर छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र होते हुए गोदावरी में मिलती है। ओडिशा की सीमा पर यह दो भागों में विभाजित हो जाती है, जिनमें से एक भाग छत्तीसगढ़ में प्रवेश करता है, जबकि दूसरा जोरा नाला के रूप में शबरी नदी में मिल जाता है। पहले जोरा नाला का पानी इंद्रावती में आता था, लेकिन धीरे-धीरे इसका बहाव बढ़ने से इंद्रावती का जल प्रवाह कम हो गया।
भविष्य की योजनाएँ
सरकार द्वारा जोरा नाला के जल प्रवाह को नियंत्रित करने और इंद्रावती नदी में पानी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए दीर्घकालिक योजनाएँ बनाई जा रही हैं। इसके अंतर्गत नदी में जल प्रवाह को संतुलित करने के लिए और अधिक संरचनात्मक सुधार किए जाएंगे, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सके।
इंद्रावती नदी के जल प्रवाह में वृद्धि से किसानों और जल उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की पहल पर इंद्रावती नदी में जल प्रवाह को संतुलित करने के लिए जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर में आवश्यक सुधार किए गए हैं। ओडिशा सरकार की सहमति के बाद स्ट्रक्चर में रेत की बोरियां डालकर पानी का प्रवाह सुनिश्चित किया गया, जिससे इंद्रावती नदी के जल स्तर में वृद्धि हुई है।
ओडिशा सरकार से समन्वय के बाद समाधान:
मुख्यमंत्री साय के निर्देश पर जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल से चर्चा कर इंद्रावती नदी के जल संकट के समाधान हेतु सहयोग मांगा। इसके बाद केंद्रीय मंत्री ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मुख्यमंत्रियों को समस्या के निराकरण हेतु आवश्यक निर्देश दिए। इस पहल के तहत ओडिशा सरकार की सहमति से जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर को अस्थायी रूप से एक फीट ऊंचा किया गया, जिससे इंद्रावती नदी के जल प्रवाह में सुधार हुआ।
रेत निष्कासन कार्य जारी:
इंद्रावती नदी के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में जमा रेत को हटाने का कार्य भी तेजी से जारी है। प्रशासन ने इसे अप्रैल के पहले सप्ताह तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस संबंध में कलेक्टर हरिस एस के मार्गदर्शन में अपर कलेक्टर सी.पी. बघेल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग और जल संसाधन विभाग के ईई वेद पांडेय ने स्थानीय किसानों को जिला कार्यालय के प्रेरणा सभा कक्ष में पूरी जानकारी दी।
समस्या की पृष्ठभूमि:
इंद्रावती नदी ओडिशा के कालाहांडी जिले से निकलकर छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र होते हुए गोदावरी में मिलती है। ओडिशा की सीमा पर यह दो भागों में विभाजित हो जाती है, जिनमें से एक भाग छत्तीसगढ़ में प्रवेश करता है, जबकि दूसरा जोरा नाला के रूप में शबरी नदी में मिल जाता है। पहले जोरा नाला का पानी इंद्रावती में आता था, लेकिन धीरे-धीरे इसका बहाव बढ़ने से इंद्रावती का जल प्रवाह कम हो गया।
भविष्य की योजनाएँ:
सरकार द्वारा जोरा नाला के जल प्रवाह को नियंत्रित करने और इंद्रावती नदी में पानी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए दीर्घकालिक योजनाएँ बनाई जा रही हैं। इसके अंतर्गत नदी में जल प्रवाह को संतुलित करने के लिए और अधिक संरचनात्मक सुधार किए जाएंगे, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सके।
इंद्रावती नदी के जल प्रवाह में वृद्धि से किसानों और जल उपभोक्ताओं को राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।