बस्तर की संस्कृति, परंपराओं और जनजातीय जीवनशैली का होगा भव्य उत्सव
रायपुर, 12 मार्च 2025 – (स्वतंत्र छत्तीसगढ़)
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज विधानसभा परिसर स्थित समिति कक्ष में ‘बस्तर पंडुम 2025’ के लोगो का अनावरण किया। इस दौरान मांदर की थाप पर थिरकते लोक कलाकारों ने उत्सव की रंगत को और भी बढ़ा दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर पंडुम सिर्फ एक महोत्सव नहीं, बल्कि बस्तर की समृद्ध लोकसंस्कृति और परंपराओं को सहेजने की अनूठी पहल है।
उन्होंने कहा कि सरकार बस्तर में शांति और विकास की दिशा में लगातार प्रयास कर रही है। बस्तर ओलंपिक और अबूझमाड़ पीस हाफ मैराथन जैसी पहलें इस दिशा में अहम रही हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अस्पतालों की स्थापना सहित बस्तर के लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए कई योजनाएं चला रही है।
बस्तर पंडुम 2025: पारंपरिक विधाओं का उत्सव
बस्तर पंडुम का अर्थ है “बस्तर का उत्सव”, और यह आयोजन बस्तर की लोकसंस्कृति को बढ़ावा देने के लिए 7 प्रमुख विधाओं पर केंद्रित होगा:
- जनजातीय नृत्य
- जनजातीय गीत
- नाट्य कला
- वाद्ययंत्र प्रदर्शन
- पारंपरिक वेशभूषा एवं आभूषण
- शिल्प और चित्रकला
- जनजातीय व्यंजन एवं पारंपरिक पेय
प्रतियोगिताएं तीन चरणों में आयोजित की जाएंगी –जनपद स्तरीय (12-20 मार्च) जिला स्तरीय (21-23 मार्च) संभाग स्तरीय (1-3 अप्रैल, दंतेवाड़ा) विजेताओं को विशेष पुरस्कार और प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।
लोगो में झलकती बस्तर की पहचान
बस्तर पंडुम 2025 के लोगो में बस्तर की संस्कृति और प्राकृतिक विरासत को खास महत्व दिया गया है। इसमें इंद्रावती नदी, चित्रकूट जलप्रपात, वनभैंसा (राजकीय पशु), पहाड़ी मैना (राजकीय पक्षी), बायसन हॉर्न मुकुट, तुरही, ढोल, सल्फी और ताड़ी के पेड़ को शामिल किया गया है।
बस्तर के विकास और शांति की दिशा में बड़ा कदम
मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के लोग अपनी सादगी और उत्सवधर्मिता के लिए जाने जाते हैं। यह आयोजन जनजातीय जीवन और उनकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। सरकार बस्तर में संपूर्ण विकास और शांति स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है ताकि लोग भयमुक्त होकर अपने जीवन का आनंद ले सकें।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव, उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, वन मंत्री श्री केदार कश्यप, कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम, विधायक श्री किरण देव, सुश्री लता उसेंडी, श्री विनायक गोयल, संस्कृति विभाग के सचिव श्री अन्बलगन पी. और संचालक संस्कृति श्री विवेक आचार्य भी उपस्थित रहे।
बस्तर की परंपराओं का मिलेगा राष्ट्रीय पहचान
बस्तर पंडुम 2025 का आयोजन स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने का मंच बनेगा। इसके माध्यम से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि बस्तर की सांस्कृतिक विरासत भी संजोई जा सकेगी।
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