मुख्यमंत्री मितान योजना ने तोड़ा दम:आय, जन्म, जाति, मूल निवासी समेत जरूरी प्रमाण पत्र बनाने घर से लेकर जा रहे थे दस्तावेज, छह महीने से योजना ही बंद…

रायपुर :

लेकिन सरकार बदलते ही इस योजना ने दम तोड़ दिया है। इस साल जनवरी से अब तक लोगों के एक हजार भी प्रमाण पत्र नहीं बने। दस्तावेज बनाने के लिए लोग टोल फ्री नंबर 14545 पर कॉल भी करते हैं, लेकिन दूसरी ओर से कोई रिस्पांस नहीं मिलता है। न तो घर आने के लिए अप्वाइंटमेंट बुक होता है और कभी अप्वाइंटमेंट बुक हो भी गया तो दस्तावेज लेने कोई घर नहीं आता। लोगों को पहले की तरह ही प्रमाण पत्र बनाने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार दफ्तरों को घर तक पहुंचाने के लिए इस योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत स्वास्थ्य, परिवहन, समाज कल्याण, आदिम जाति समेत कई विभागों से बनने वाले कार्ड लोगों के घरों तक पहुंचाए जा रहे थे। अब यह योजना लगभग बंद हो गई है। इस योजना के तहत सबसे ज्यादा 16 लाख से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस लोगों के घरों में भेजे गए।

अभी ड्राइविंग लाइसेंस बनने के बाद लोगों के घरों तक पहुंचने में एक महीने से ज्यादा का समय लग रहा है। योजना का ज्यादा फायदा सीनियर सिटीजन, दिव्यांगजनों, मजदूरों, किसानों, महिलाओं को हो रही थी। उन्हें दफ्तरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ती थी। सरकारी कर्मचारियों के दफ्तरों में नहीं मिलने की वजह से उन्हें कई बार वापस लौटना पड़ता है। इससे हजारों लोगों की परेशानी बढ़ गई है।

च्वाइस सेंटरों में पैसे और समय दोनों ज्यादा लग रहे
मुख्यमंत्री मितान योजना बंद होने के बाद अब लोगों को फिर से च्वाइस सेंटरों में जाना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि सेंटर वाले प्रमाण पत्र बनाने के लिए ज्यादा पैसे मांगते हैं। अधिकतर बार समय पर प्रमाण पत्र बनकर नहीं मिल पाता है। कई बार तो च्वाइस सेंटर वालों के साथ ही तहसील और निगम के कर्मचारियों को भी अतिरिक्त पैसा देना पड़ता है तभी वे प्रमाण पत्र बनाकर देते हैं।

सरकार का दावा है कि सभी काम ऑनलाइन होते हैं, लेकिन केवल आवेदन ही ऑनलाइन होता है उसके बाद बार-बार च्वाइस सेंटर और दफ्तरों में जाकर पता करना होता है कि उनके आवेदन का क्या हुआ। दफ्तरों में जाकर जानकारी नहीं ली जाए तो प्रमाण पत्र बनाने में महीनों लगा देते हैं। इससे परेशानी और बढ़ जाती है।

कलेक्टर तक घर जाते थे अब कर्मचारी भी नहीं जाते
कांग्रेस सरकार में जब यह योजना शुरू की गई थी तो प्रमाण पत्र बनने के बाद उसे देने के लिए कलेक्टर और कमिश्नर भी लोगों के घरों तक जाते थे। अफसरों की निगरानी कड़ी रहती थी, इसलिए कर्मचारी भी समय पर काम करते थे। हर हफ्ते इसकी रिपोर्ट भी ली जाती थी कि कितने कॉल आए कितने प्रमाण पत्र पहुंचाए गए और कितने पेंडिंग हैं। लेकिन अब किसी का भी ध्यान इस योजना पर नहीं है।

इसलिए जिस कंपनी के पास यह काम है वो भी लापरवाह हो गई है। कंपनी ने कर्मचारियों की संख्या भी घटा दी है। उनका आरोप है कि सरकार से समय पर इसके लिए फंड नहीं मिल पा रहा है। इसलिए उनके स्टाफ को सैलरी भी नहीं मिल पा रही है। स्टाफ की भरपूर कमी है। इसलिए ऑनलाइन अप्वाइंटमेंट बुक नहीं हो रहे।

यह सभी प्रमाण पत्र बनाने घर आते थे दस्तावेज लेने मितान
मितान योजना के अंतर्गत मूल निवासी, अनुसूचित जाति जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और आय प्रमाण पत्र, भूमि रिकार्ड की नकल, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, विवाह पंजीकरण और प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र सुधार, दुकान और स्थापना पंजीकरण संबंधी दस्तावेज, मृत्यु प्रमाण पत्र सुधार, विवाह प्रमाण पत्र सुधार, आधार कार्ड पंजीकरण (5 वर्ष तक के बच्चों का), आधार कार्ड में पता एवं मोबाइल नंबर में सुधार, नया राशन कार्ड बनवाने, राशन कार्ड ट्रांसफर/सरेंडर, राशन कार्ड सुधार, नया राशन कार्ड एपीएल, राशन कार्ड गुम केस, राशन कार्ड में नाम जोड़ना/काटना, नया बीपीएल राशन कार्ड बनाने 44 तरह के प्रमाण पत्र बनाने के लिए दस्तावेज लेने मितान घर तक आते थे। प्रमाण पत्र बनने के बाद मितान उस प्रमाण पत्र को पहुंचाने आवेदक के घर भी जाता था।

समाधान – नगर निगम क्षेत्र में मितान अभी काम कर रहे हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव की आचार संहिता की वजह से काम प्रभावित हुआ था। कहां-कहां सुविधा नहीं मिल रही है इसकी जानकारी लेकर उसे शुरू कराया जाएगा। 

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