आज 85 वां महाअधिवेशन के अंतिम दिन कहा ,आज तक मेरे पास घर नहीं-राहुल गाँधी |

रायपुर : 26 फरवरी 2023.

आज तक मेरे पास घर नहीं है- राहुल गांधी
महाअधिवेशन मे राहुल गांधी ने कहा, मैं छोटा था, 1977 की बात है। चुनाव आया, मुझे उसके बारे में कुछ नहीं मालूम था। घर में अजीब सा माहौल था। मैंने मां से पूछा मम्मी क्या हुआ। मां कहती हैं कि हम घर छोड़ रहे हैं। तब तक मैं सोचता था कि वो घर हमारा था। मैंने मां से पूछा हम घर क्यों छोड़ रहे हैं। पहली बार मां ने मुझे बताया कि ये हमारा घर नहीं है। ये सरकार का घर है। अब हमें यहां से जाना है। मैंने पूछा कहां जाना है तो कहती हैं कि नहीं मालूम कहां जाना है। मैं हैरान था। मैंने सोचा था कि वो हमारा घर था। 52 साल हो गए मेरे पास घर नहीं है। आज तक नहीं है।’

भाजपा और संघ, अडाणी की रक्षा क्यों कर रहे हैं – राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा मैंने संसद में एक उद्योगपति के खिलाफ मोर्चा खोला। मैंने एक फोटो दिखाई,जिसमें मोदीजी अडाणी के साथ प्लेन में बैठे हैं। मैंने पूछा रिश्ता क्या है। पूरी सरकार, सभी मंत्री अडाणीजी की रक्षा करने लग गए। अडाणी पर हमला करने वाला देश द्रोही और अडाणी देशभक्त बन गए। भाजपा और संघ उस व्यक्ति की रक्षा कर रहे हैें। सवाल है कि रक्षा क्यों कर रहे हैं। ये जो शेल कंपनियां हैं, हजारों करोड़ रुपया हिंदुस्तान भेज रही हैं, ये किसकी हैं। इसमें किसका पैसा है। जांच क्यों नहीं हो रही है। जेपीसी क्यों नहीं बन रही है।

भारत जोड़ो यात्रा में मैंने लोगो का दुख और दर्द पहचाना – राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा, ‘4 महीने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक भारत जोड़ो यात्रा हमने की। वीडियो में आपने मेरा चेहरा देखा, लेकिन हमारे साथ लाखों लोग चले। बारिश, गर्मी और बर्फ में हम सब एकसाथ चले। बहुत कुछ सीखने को मिला। आपने देखा हो कि पंजाब में एक मैकेनिक आकर मुझसे मिला। मैंने उसके हाथ पकड़े और सालों की उसकी तपस्या, उसका दर्द और दुख मैंने पहचान लिया। लाखों किसानों के साथ जैसे ही हाथ मिलाता था, गले लगता था एक ट्रांसमिशन सा हो जाता था। शुरुआत में बोलने की जरूरत होती थी कि क्या करते हो, कितने बच्चे हैं, क्या मुश्किलें हैं। एक-डेढ़ महीना ये चला और उसके बाद बोलने की जरूरत नहीं पड़ती थी। जैसे ही हाथ पकड़ा, गले लगे उनका दर्द एक सेकंड में समझ आ जाता था। जो मैं उनसे कहना चाहता था, बिना कुछ बोले वो समझ जाते थे।’

गांधी जी कहते थे कि सत्य का रास्ता मत छोड़ो, ये सत्ता का रास्ता नहीं छोड़ते हैं- राहुल गांधी

एक नेता ने इंटरव्यू में कहा कि चीन की इकॉनमी हमसे बड़ी है तो हम उनसे कैसे लड़ सकते हैं। क्या जब अंग्रेजों से लड़ रहे थे, तो हमारी इकॉनमी उनसे बड़ी थी। क्या शक्तिमान से लड़ना ही नहीं हैं। ऐसे व्यवहार को कायरता कहा जाता है। ये सावरकर की सोच है कि जो आपसे तगड़ है तो उसके सामने सिर झुका हो। एक मंत्री बोल रहा है कि चीन की इकॉनमी हमसे बड़ी है तो लड़ नहीं सकते हैं। इसे देशभक्ति कहते हैं क्या। ये कौन सी देशभक्ति है। जो कमजोर है, उसे मारो और जो मजबूत है उसके सामने झुक जाए। महात्मा गांधी सत्याग्रह की बात कहते थे। सत्य के रास्ते को कभी मत छोड़ो। ये लोग सत्ता के लिए कुछ भी करेंगे। किसी से भी मिल जाएंगे। ये इनकी सच्चाई है।