स्वतंत्र छत्तीसगढ़ :
रायपुर :
हाल ही में मुंबई-हावड़ा मेल और शालीमार कुर्ला एक्सप्रेस में चोरों ने एक ही दिन 4 सूटकेस पार कर दिए। इनमें 11 लाख रुपए कैश और गहने थे। इस घटना के बाद दैनिक भास्कर की टीम ने आधी रात दो ट्रेनों में सुरक्षा इंतजाम की जांच की। रायपुर-बिलासपुर यात्रा के दौरान टीम ने ये देखा…
बिलासपुर रेल मंडल में मेमू और एक्सप्रेस मिलाकर सिर्फ 17 ट्रेनों में ही पेट्रोलिंग की जा रही है, जबकि रोज करीब 120 यात्री ट्रेनें रायपुर से गुजरती हैं। कारण कि आरपीएफ के पास पेट्रोलिंग के लिए पर्याप्त जवान नहीं हैं। जो थे, उनमें भी कई की ड्यूटी लोकसभा चुनाव को लेकर दूसरे प्रदेशों में लगा दी गई है। इसका फायदा उठाकर चोर एसी बोगियों में बेधड़क चोरियां कर रहे हैं।
रात 12:20 बजे : रायपुर स्टेशन से गीतांजली एक्स. में सफर शुरू :
शुक्रवार रात 11 बजे रायपुर रेलवे स्टेशन। प्लेटफार्म नंबर-1 पर यात्री ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं। स्टेशन मास्टर ने बताया कि गीतांजलि एक्सप्रेस 11.55 बजे आती है। लेकिन आज लेट है। 12.20 बजे आने की संभावना है। एक घंटे इंतजार के बाद गीतांजलि एक्सप्रेस प्लेटफार्म नं-3 पर आई और पांच मिनट बाद रवाना हुई। ट्रेन खचाखच भरी है। कुछ लोग स्लीपर से एसी-3 और एसी-2 बोगियों में बेधड़क आना-जाना कर रहे हैं। कोई रोकने वाला नहीं है। भास्कर टीम भी स्लीपर कोच से एसी बी-4 कोच तक पहुंच गई। ज्यादातर यात्री गहरी नींद में हैं। जाे जाग रहे हैं वे मोबाइल में बिजी हैं, कौन आ-जा रहा है इसका ध्यान नहीं है। कोई भी किसी भी कोच में प्रवेश कर आसानी से दूसरे का सामान लेकर उतर सकता है। तब अहसास हुआ कि इसी वजह से एसी कोच में चोरियां बढ़ी हैं। इस दौरान यात्रा कर रहे मनोज कुमार ने बताया- मैंने तो अभी तक एक भी जवान को गश्त करते नहीं देखा। ट्रेन रात 2.42 बजे बिलासपुर स्टेशन पहुंची। इस दौरान किसी भी कोच में एक भी जवान नजर नहीं आया।
रायपुर से कुछ यात्री सवार हुए हैं। इसलिए टिकट चेक करने टीटीई का आना-जाना करते दिखे। यात्रियों की सुरक्षा को लेकर पूछने पर टीटीई ने बताया कि इस ट्रेन में पेट्रोलिंग होती है, लेकिन किसी कारण आज नहीं हो रही है।
रात 2:50 बजे : बिलासपुर से रायपुर वापसी के दौरान ट्रेन में आंखों देखी… :
बिलासपुर पहुंचने के बाद हम तुरंत दौड़कर प्लेटफॉर्म नंबर-3 पर पहुंचे। यहां चक्रधरपुर से चलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस जाने वाली गीतांजलि एक्सप्रेस खड़ी है। हम कोच नंबर बी-3 में प्रवेश कर गए। इस वक्त रात के 2.50 बज रहे है। रात होने के कारण कोच में लगभग सभी लोग सो रहे हैं। गेट पर रेलवे का कोई स्टाफ नहीं है। यहां भी यात्रियों के सामान की सुरक्षा भगवान भरोसे है। कोई भी व्यक्ति दूसरे का सामान लेकर ट्रेन से उतर सकता है। थोड़ी देर बाद हम कोच नंबर बी-4 में पहुंचे। यहां दो जवान नजर आए। उन्होंने हमें बताया कि इस ट्रेन को बिलासपुर से दुर्ग तक ले जाना है, उसके बाद शिवनाथ एक्सप्रेस को दुर्ग से लेकर वापस लौटना है। हमने जवान से पूछा तो उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि हम दो ही जवान हैं जो इसमें गश्त कर रहे हैं।
373 जवानों में से ज्यादातर चुनाव ड्यूटी में :
आरपीएफ अफसर के मुताबिक रायपुर मंडल में 450 जवानों के पद हैं। ये सेटअप 1998 का है। अब ट्रेनें बढ़ गईं हैं और यात्री भी। स्टेशनों की संख्या भी बढ़ गई, लेकिन रायपुर मंडल में सिर्फ 373 जवान हैं। इनमें से ज्यादातर की ड्यूटी चुनाव में लगा दी गई है। इस वजह से भी यात्री सुरक्षा नहीं हो पा रही है।
बाथरूम के पास चादरों से भरी बोरियां :
एसी बोगी के बाथरूम के पास रेलवे की चादरों से भरी बोरियां रखी हुई हैं। इकोनॉमी क्लास के अलावा किसी भी बोगियों का डस्टबीन ठीक नजर नहीं आया। सब टूटे दिखे। चादर की बोरी के पास ही कचरे की पॉलिथीन भी लटक रही थी। लोग वहीं कचरा फेंक रहे थे। वॉश बेसिन पूरी तरह भरा था। ट्रेन के हिलने से उसमें जमा गंदा पानी बेसिन के बाहर छलक रहा था। बाथरूम का भी कुछ यही हाल था।
दिनेश सिंह तोमर, प्रभारी कमांडेंट, आरपीएफ :
स्टाफ कम, हर गाड़ी में पेट्रोलिंग नहीं दे सकते सवाल- ट्रेनों में पेट्रोलिंग नहीं हो रही है? जवाब- हां, स्टाफ की कमी है। सवाल- रात की ट्रेनों में भी सुरक्षा शून्य है? जवाब- हां, जो ट्रेनें ज्यादा सेंसटिव हैं उसी में सुरक्षा दे पा रहे हैं? सवाल- स्टाफ भर्ती के प्रयास क्यों नहीं? जवाब- इसके लिए 2014 के बाद से लगातार पत्र लिखे जा रहे हैं।
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