दुर्ग : 02 अक्टूबर 2024 (स्वतंत्र छत्तीसगढ़ )
कल यानी गुरुवार से नवरात्रि का त्योहार शुरू हो रहा है। मूर्तिकारों के यहां से देवी मां की प्रतिमा को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ ढोल-नगाड़ों की थाप पर उनके दरबार तक ले जाया जा रहा है। दुर्ग में माता की प्रतिमाएं 70 फीसदी पहुंच चुकी हैं। शेष मूर्तियां शाम तक पंडालों में पहुंच जाएंगी।
दुर्ग जिले की बात करें तो यहां छोटी बड़ी प्रतिमा को मिलाकर लगभग एक हजार से अधिक पंडालों में माता की प्रतिमाएं बिराजती हैं। ज्यादातर मूर्तियां थनौद गांव से आती हैं। यहां 70 प्रतिशत कुम्हार घरों में प्रतिमा बनाई जाती हैं। वहीं बड़ी प्रतिमाओं की बात करें तो 50 से अधिक प्रतिमाएं ऐसी हैं, जिन्हें देखने के लिए पूरा शहर वहां पहुंचता है।
नौद और बंगाली मूर्तिकारों के हाथों की बनी प्रतिमा
भिलाई की बात करें यहां इस बार थनौद और बंगाली मूर्तिकारों के हाथों की बनी प्रतिमा देखने को मिलेगी। न्यू स्टार सार्वजनिक श्रीश्री दुर्गा पूजा उत्सव समिति के अध्यक्ष शंभू जायसवाल ने बताया कि वो लोग कई सालों से माता की प्रतिमा स्थापित करते आ रहे हैं। वो लोग बंगाली कलाकारों के हाथों की बनी मूर्ति को लाते हैं।
उन्होंने इस बार भिलाई टाउनशिप में मूर्तिकारों से प्रतिमा को बनवाया है। इसी तरह छावनी थाने के बगल से बिराज रही माता की विशाल प्रतिमा को भी बंगाली मूर्तिकारों द्वारा बनाया गया है। यह प्रतिमा महिसासुर मर्दिनी के रूप में काफी विशाल है।
इसके साथ ही शहर में महापौर नीरजपाल, नेता प्रतिपक्ष भोजराज भोजू, पार्षद हरिओम तिवारी सहित कई लोग माता की प्रतिमा का हर साल बैठाते हैं। इन प्रतिमाओं को वो लोग थनौद के कारीगरों से बनवाते हैं।
लगा रहा भक्तों का रेला
मूर्तिकारों के यहां से प्रतिमा लाने के लिए भक्तों का रेला लगा रहा। बड़ी प्रतिमाओं को क्रेन की मदद ट्रेलर के ऊपर खा गया। इसके बाद माता के जयकारों के साथ ढोल तासों के बीच माता के बन रहे दरबार तक पहुंचाया गया। इस दौरान पूरे रास्ते में भक्त अपनी अपनी गाड़ियों से चलते रहे और माता के जयकारे लगाते रहे।
प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही भक्ति में डूबेगा शहर
कल यानि 3 अक्टूबर से नवरात्र शुरू हो जाएगी। पंडितों के द्वारा सभी जगह माता की प्रतिमा की पूजा कराई जाएगी। विधि विधान से पूजा पाठ के बाद जैसे ही प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा कराई जाएगी उसके साथ ही वहां 9 दिन तक लगातार दिन रात माता के भक्त पूजा और सेवा में लगे रहेंगे।
पूरे नौ दिन दरबार और उसके बाद तीन से चार दिनों तक विसर्जन यानि लगभग 13-14 दिन तक पूरा शहर माता की भक्ति के सागर में डूबा रहेगा।
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